आप जानते हैं हाथी पांव क्‍या है?

आप जानते हैं हाथी पांव क्‍या है?

सेहतराग टीम

फाइलेरिया यानी हाथी पांव की ऐसी बीमारी जो शरीर में एक विशेष राउंड वर्म के संक्रमण से होती है। ये परजीवी त्‍वचा से सीधे अथवा मच्‍छरों द्वारा बनाए गए मार्ग से शरीर में प्रवेश करते हैं और शरीर के लिंफेटिक सिस्‍टम में पहुंच जाते हैं। ये परजीवी सालों साल किसी स्‍वस्‍थ शरीर में बिना कोई हरकत किए पड़े रह सकते हैं मगर एक बार ये सक्रिय हो जाएं तो फि‍र इस बीमारी का कोई स्‍थाई इलाज नहीं होता। हालांकि इसके पहले इस परजीवी का समाप्‍त करना संभव है।

बिहार और उत्‍तर प्रदेश इस बीमारी से सबसे अध‍िक प्रभावित राज्‍यों में हैं और अब उत्तर प्रदेश से हाथी पांव बीमारी को समाप्त करने के लिए 29 जिलों में 10 से 14 फरवरी के बीच एमडीए (मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) अभियान चलाने का फैसला लिया गया है।

एमडीए के द्वितीय चरण में 29 जिलों चित्रकूट, बांदा, गोरखपुर, महाराजगंज, बरेली, शाहजहांपुर, बाराबंकी सोनभद्र, भदोही (संत रविदास नगर), मऊ, आजमगढ़, बलिया, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संत कबीर नगर, देवरिया, कुशीनगर, जालौन, पीलीभीत, जौनपुर, हमीरपुर, महोबा, अम्बेडकर नगर, अमेठी, गोण्डा, बहराइच, श्रावस्ती, अयोध्या (फैजाबाद) एवं बलरामपुर में यह अभियान चलाया जायेगा। इसमें लोगों को एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जायेगी।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सचिव वी.हेकाली झिमोमी ने बताया कि एमडीए अभियान में दो दवाओं डीईसी एवं एल्बेण्डाजोल का निःशुल्क वितरण किया जाएगा। ये दवाएं मानव में इन परजीवियों को मारने में सक्षम हैं और रोग की रोकथाम में मदद करते हैं तथा भविष्य में हाथी पांव होने की आशंका को भी खत्म करती हैं। 

उन्होंने कहा कि हाथी पांव होने के उपरान्त इसका इलाज संभव नहीं है। स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में बिना किसी लक्षण के इस बीमारी के परजीवी शरीर में कई वर्ष तक रह सकते हैं एवं लोग 5 से 10 वर्ष बाद इस बीमारी से ग्रसित हो सकते हैं।

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